ज़माने में जिसे कहा जाता था बुद्धू बक्सा आज हम सब यह बुद्धू बना रहा है! ज़माने में जिसे कहा जाता था बुद्धू बक्सा आज हम सब यह बुद्धू बना रहा है!
पर बुद्धु भी नहीं हूँ ज़नाब l पर बुद्धु भी नहीं हूँ ज़नाब l
लौट के बुद्धू घर को आये। लौट के बुद्धू घर को आये।
आज पुराना बक्सा खोला। आज पुराना बक्सा खोला।
और हर बार थोड़ा और कस के कहीं खुल ना जाए फिर दोबारा। और हर बार थोड़ा और कस के कहीं खुल ना जाए फिर दोबारा।
खत्म होने पर सबको जाना है एक ही बक्से में। खत्म होने पर सबको जाना है एक ही बक्से में।